देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, प्राण ले रही गर्मी, अब तो जीवन में कुछ श्वास भर।
I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Sunday, June 2, 2024
Saturday, June 1, 2024
आखिरी ख़त
हम भी किसी का पहला और आखिरी प्यार होते, हम भी किसी का पहला और आखिरी ख़त होते, अगर हम भी दौलत वाले और खूबसूरत होते।
Tuesday, March 19, 2024
Sunday, March 17, 2024
अभिलाषा
सबको खुश करने की चाह, सबकी नजरों में अच्छे बने रहने की अभिलाषा, आपको दुनिया का सबसे नाखुश इंसान बना सकती है, इसलिए वो बने जिससे आपको खुशी मिले।
Saturday, March 16, 2024
हुनर
भौतिक युग में कविता, कहानी को ज़िंदा रखना एक उपलब्धि ही तो है। सिर्फ लिखना ही नहीं, पढ़ना और समझना भी एक तरह का हुनर ही है।
Tuesday, March 12, 2024
विकल्प
दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है.
एक पत्थर दिल इंसान में जो
किसी के दर्द को समझ नहीं पाता
या दूसरा व्यक्ति जो
हमेशा ये चाहता है कि उसके जैसा दुख किसी को ना मिले
अब किसे क्या बनाना है ये वही तय कर सकता है।
दूसरा विकल्प कठिन है लेकिन असंभव नहीं.
Monday, March 11, 2024
बचपन
बचपन, बचपन की यादें और बचपन की तस्वीरें सबसे ज्यादा खूबसूरत होती हैं। अगर मन उदास हो कभी, उन्हें फिर से देख लेना या याद कर लेना। शायद तुम्हारे चेहरे पर फिर से मुस्कान आ जाए।
अल्हड़ हो जाना भी कभी-कभी समझदारी होती है।
Sunday, March 10, 2024
ईमानदार
देवकी -वसुदेव को बिना वजह कारावास मिला.
राम -सीता को वनवास मिला,
पांडवों को अज्ञातवास मिला।
शकुन्तला को दुष्यन्त से अलगाव का श्राप मिला।
सच्चे और ईमानदार लोगों को ही जीवन में कष्ट मिलता है, यह याद रखना।
Saturday, March 9, 2024
Friday, March 8, 2024
सुख
अपने सुख बता के तो देखो मुफ़्त का ज्ञान देने वालों की कतार लग जाएगी।
अपना दुख बता दो तो चारों तरफ तन्हाई ही मिलेगी।
शिल्पा रोंघे
Wednesday, March 6, 2024
काश
काश गमों का तबादला हो जाए
और खुशियों के पंछी का हमेशा के लिए बसेरा हो जाये.
सब्र रूपी पानी से सिंचती हूं फूल के पौधे को कि उसकी खुशबू ना सिर्फ मेरे बल्कि आस-पास के शहरों में भी बिखर जाए।
शिल्पा रोंघे
Tuesday, March 5, 2024
मृगतृष्णा
मृग ,मृगतृष्णा या मारीच में फर्क करना त्रेतायुग में ही इतना मुश्किल था तो अब कलियुग में कैसे आसान होगा?
Monday, March 4, 2024
सात्विक आहार
सात्विक आहार न केवल शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाए रखता है।
आशियाना,पंछी
कहां बनाऊ घरौंदा कि अब डाली ही नहीं बची.
कैसे मिटाऊं भूख, प्यास कि अब हरियाली ही नहीं बची.
हाल अब है ऐसा, छीन के मेरा आशियाना
अब वो इंसान मुझे ही
गुनहगार कहते हैं।
शिल्पा रोंघे
Saturday, March 2, 2024
मिसाल
याद रखना, सलाह देने वालों ये पहले, तुम्हें उसकी मिसाल कायम करनी होगी। तभी लोग तुम्हारे नक़्श-ए-क़दम पर चलेंगे।
Thursday, February 29, 2024
नफ़रत या मोहब्बत
बंद करके रख दो घर की किसी अलमारी में नमक या मरहम, क्योंकि भरे हुए ज़ख़्म पर ये दोनों ही काम नहीं करते हैं। ये जान लो, मुझसे नफ़रत या मोहब्बत करने वालों।
शिल्पा रोंघे
Wednesday, February 28, 2024
महिला दिवस
बिना किसी शर्त के प्रेम करे, राधा सी ऐसी
प्रेयसी
बनो।
मुश्किलों में दे
पति का साथ, ऐसी
पत्नी सीता सी तुम बनो।
जीजा बाई की तरह माँ बनो, जो दे अपने बच्चों को साहस की प्रेरणा.
रानी लक्ष्मीबाई, और रानी दुर्गावती की तरह
वीरता की मूर्ति बनो।
मीरा सी भक्त बनो, जो विपत्तियों में भी भक्ति का राग ना छोड़े।
महिला सशक्तिकरण की
करे जो बिना डरे बात, सावित्रीबाई फुले सी तुम नारी बनो।
शिल्पा रोंघे
Monday, February 26, 2024
ज़िंदगी
ज़िंदगी को चलाने के लिए इंसान शहरों की तरफ भागता है और फिर अपनी सांसों को जिन्दा रखने के लिए जंगल, जल किनारे और गाँव की तरफ लौटता है।
तितली
इतराती है, इठलाती है, शर्माती है, कहां जान पाया है उसे कोई आज तक? दिखे कोई मनुष्य तो झट से गायब हो जाती है, लगता है ऐसा कि कई फूलों से रंग चुरा कर वह अपने पंखों पर सजाती है. मेरे सपनों में जब भी वह आती है, मुस्कुराती है और गीत कुदरत के गाती है.
Sunday, February 25, 2024
चाटुकारिता
चाटुकारिता भी अपनी सीमा पार कर चुकी है। कुछ लोग बेरोज़गारी को मन का वहम मानते हैं. हरा चश्मा लगाने से सूखी घास, हरी नहीं हो जाती है.
Saturday, February 24, 2024
समझदारी
कुछ मर्द औरतों में सिर्फ़ खूबसूरती देखते हैं, और कुछ औरतें मर्दों में सिर्फ़ समझदारी ढूंढती हैं। बस, यही सोच दोनों को बेमेल बना देती है।
Thursday, February 22, 2024
दौर में
"सोच समझ कर रूठना इस दौर में, क्योंकि सताने वाले तो बहुत मिलेंगे, लेकिन मनाने वाले बहुत कम।"
Monday, February 19, 2024
मिट्टी
Sunday, February 18, 2024
मोहब्बत
हर किसी के नसीब में नहीं होती सच्ची मोहब्बत, ये समझ लेना भी एक तरह की समझदारी है। ना बरबाद करो ज़िंदगी के अनमोल लम्हों को यूँ ही, क्योंकि यहां हर सांस कीमती है। कल क्या होगा? किसने देखा? लेकिन खुद से मोहब्बत कर लेना भी एक तरह की ईमानदारी और वफ़ादारी है।
Saturday, February 10, 2024
चांद सी
कहते हैं लोग प्यार सूरत नहीं, सीरत देख कर होता है, लेकिन शायरी में हमेशा महबूबा चांद सी और महबूब रात सा क्यों होता है?
Thursday, February 8, 2024
प्रेमपत्र
गुमशुदा की तलाश जारी रखो, लेकिन सच्चे प्यार की उम्मीद न रखो, क्योंकि इंटरनेट के आविष्कार साथ ही यह गायब हो चुका है.
जब लोगों के पास हाथ से प्रेमपत्र लिखने और पढ़ने का समय न हो, तब इस अधीर युग में सच्चे प्रेम की बात करना बेमानी है।
शिल्पा रोंघे
Wednesday, February 7, 2024
साबित
Tuesday, February 6, 2024
Saturday, February 3, 2024
सफलता की सीढ़ी
अब महल भी होंगे,खिड़कियाँ भी होंगी
लेकिन साफ
साँसें
नहीं होंगी।
रंग-बिरंगे छाते भी होंगे बाजार में,
लेकिन बारिश कम होगी।
पशु-पक्षी करेंगे इंसानी बस्ती का रुख,
ख़ौफ़ में मानव यहाँ-वहाँ दौड़ेंगे।
जब नहीं बचेंगे जंगल, तब तवे सी तपेगी धरा,
हम तो सुख-सुविधाओं में रहेंगे, लेकिन
गायब हो जाएगी अगली पीढ़ी, तो क्या
यही है
कलियुग
में सफलता की सीढ़ी।
Thursday, February 1, 2024
दुनिया
दुनिया के कयासों पर नहीं, सिर्फ अपने प्रयासों पर ध्यान दो, क्योंकि सिर्फ यही तुम्हारे बस में है।
Wednesday, January 31, 2024
रिश्ता
आजकल चांदी का नारियल सोने की सुपारी और हीरे का पानदान देखकर रिश्ता तय होता है ना की खानदान देखकर।
Saturday, January 27, 2024
काबिलियत
काबिलियत बनाने की पहली सीढ़ी है किताब, मगर काबिल इंसान बनने की आख़री सीढ़ी है तुम्हारा अनूठा हुनर।
मेघा
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...
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मत करना कभी किसी गैर पर भरोसा आंखे बंद करके नुरानी चेहरा भी मुरझा, जाएगा. कभी खुद पर जी खोलकर करके तो देख भरोसा मुरझाया हुआ चेहरा भी...
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दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है. एक पत्थर दिल इंसान में जो किसी के दर्द को समझ नहीं पाता या दूसरा व्यक्ति जो हम...
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करते है याद जब बचपन के वो दिन तो सोचते है जाने कैसे दिखते होंगे तुम ....... रोज स्कूल से आते वक्त मेरे घर के सामने से गुजरते थे तु...