मैं महंगी गाड़ियों, और एसी इमारतों में बैठकर विकास की
बात नहीं करता.
मैं जून की दोपहर में तपकर
दो जून की रोटी का इंतजाम करता हूं.
मेरी मेहनत को भाषा, जाति और धर्म से जोड़कर मत देखो.
मैं किसान हूं
चाहे संक्रांति हो, पोंगल हो, लोहड़ी हो या भोगाली बिहू
लहलहाती फसलों का हर
एक त्यौहार बड़ी खुशी खुशी मनाता हूं.
शिल्पा रोंघे
बात नहीं करता.
मैं जून की दोपहर में तपकर
दो जून की रोटी का इंतजाम करता हूं.
मेरी मेहनत को भाषा, जाति और धर्म से जोड़कर मत देखो.
मैं किसान हूं
चाहे संक्रांति हो, पोंगल हो, लोहड़ी हो या भोगाली बिहू
लहलहाती फसलों का हर
एक त्यौहार बड़ी खुशी खुशी मनाता हूं.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment