Sunday, April 1, 2018

ख्वाहिश

सालों तक एक जगह जड़ें
फैला चुका पेड़ नहीं
कलम बनने की ख़्वाहिश है
जो रम जाए हर डाल पर
बंध जाए आसानी से
देखो क्या होता है
फिर जमीं से उपर
और आसमां के नीचे
खड़े होकर नए रंग का फूल
बनकर
पहले से लगी पुरानी डाल पर, बिल्कुल अलग रंग के फूल
का साथ पाकर
नई आबोहवा में कैसे
खिलता है कोई देखना है
एक नए माहौल में जाकर.

शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।