Tuesday, April 17, 2018

लहू कहां भेद करता है.

लहू का रंग बस लाल होता है
चाहे हो किसी का भी.

उससे ज्यादा बेशकीमती कुछ नहीं होता है.
सबकी रगों में एक ही रंग का लहू दौड़ता है.

वो ना हरा होता है ना भगवा होता है
वो सिर्फ लाल होता है.

लहू  ही नया जीवन देता है.
लहू  भेद कहां करता है.
लहू ही तो एकता का प्रतीक होता है.

शिल्पा रोंघे

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...