ना मेरे गालों पर लाली होगी
ना होंठ होंगे सुर्ख लाल
ना आंखों में काजल होगा
ना लट सुलझी हुई होगी
कुछ इस तरह बिना बनावटी
सजावट के मैं तुमसे मिलना
चाहूंगी अपने वास्तविक रूप
के साथ तुम्हारे वास्तविक
हृदय से जोड़ना चाहूंगी
अपने संवेदनशील मन के
तार.
शिल्पा रोंघे
ना होंठ होंगे सुर्ख लाल
ना आंखों में काजल होगा
ना लट सुलझी हुई होगी
कुछ इस तरह बिना बनावटी
सजावट के मैं तुमसे मिलना
चाहूंगी अपने वास्तविक रूप
के साथ तुम्हारे वास्तविक
हृदय से जोड़ना चाहूंगी
अपने संवेदनशील मन के
तार.
शिल्पा रोंघे
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