बड़ी ख़ामोशी से करते है अरमानों का कत्ल कुछ लोग.
पता है उन्हें भी अरमानों में ना लहू होता है, ना सांस होती है.
होते है दफ़न तो ना कोई आवाज़ होती है ना कोई फरियाद होती है.
शिल्पा रोंघे
पता है उन्हें भी अरमानों में ना लहू होता है, ना सांस होती है.
होते है दफ़न तो ना कोई आवाज़ होती है ना कोई फरियाद होती है.
शिल्पा रोंघे
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