एक ही मौन के देखो कितने रूप.
कभी ध्यान है,
कभी निद्रा है मौन,
कभी उपासना है मौन,
कभी भोर
तो कभी रात का काला सन्नाटा है मौन,
ना पूरा "हां" ना पूरा "ना"
है मौन.
ना पूरा है ना अधूरा है
सचमुच एक रहस्य ही है मौन.
शिल्पा रोंघे
कभी ध्यान है,
कभी निद्रा है मौन,
कभी उपासना है मौन,
कभी भोर
तो कभी रात का काला सन्नाटा है मौन,
ना पूरा "हां" ना पूरा "ना"
है मौन.
ना पूरा है ना अधूरा है
सचमुच एक रहस्य ही है मौन.
शिल्पा रोंघे
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