बदलाव शांतिपूर्ण रूप से ही संभव.
मगर मौन रहकर कतई नहीं.
ज़िंदगी इतनी भी लंबी नहीं,
कि बर्दाश्त करने में ही गुजार दे पूरी.
बुत और इंसान में कुछ तो फ़र्क
रहे बाकी.
शिल्पा रोंघे
मगर मौन रहकर कतई नहीं.
ज़िंदगी इतनी भी लंबी नहीं,
कि बर्दाश्त करने में ही गुजार दे पूरी.
बुत और इंसान में कुछ तो फ़र्क
रहे बाकी.
शिल्पा रोंघे
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