Monday, October 22, 2018

क्या ज़रूरी है ?

क्या ज़रूरी है ?
उन रास्तों पर चलना 
जहां मंजिल का पता नहीं.

क्या ज़रूरी है ?
उस बंधन में बंधना 
जहां सांस लेने 
की भी जगह ना हो बची ?

क्या ज़रूरी है 
उनका इंतज़ार करना 
जिनको तुम्हारी रत्ती भर 
परवाह नहीं.


कोरा है कागज 
ही रहने दो.

किस्सा कोई अधूरा 
ही रहना दो.

कलम और स्याही से ये
कह दो रिश्तों की झूठी रस्मअदायगी 
अब रहने भी दो.

शिल्पा रोंघे

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