Sunday, October 7, 2018

वो जो भाषा होती है ना

शैल चित्रों की तरह,
किसी इमारत पर खुदी 
इबारत की तरह,
कभी सुनी हुई लोक कथाओं 
की तरह,
होती है कई कहानियां 
जिनकी भाषा समझ से परे 
होती है,
फिर भी अमर होती है वो क्योंकि 
संवेदनाओं 
से होती है गढ़ी, जिसकी गूंज 
शब्दों से भी ज्यादा 
दूर तक पहुंचती है.

शिल्पा रोंघे 

No comments:

Post a Comment

होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।