शैल चित्रों की तरह,
किसी इमारत पर खुदी
इबारत की तरह,
कभी सुनी हुई लोक कथाओं
की तरह,
होती है कई कहानियां
जिनकी भाषा समझ से परे
होती है,
फिर भी अमर होती है वो क्योंकि
संवेदनाओं
से होती है गढ़ी, जिसकी गूंज
शब्दों से भी ज्यादा
दूर तक पहुंचती है.
शिल्पा रोंघे
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