थे सूरजमुखी के बड़े बड़े
फूल घेरते.
जैसे कि सूरज के वंशज
खुद आकर रोशनी
हो बिखरते.
तितलियों से हो गई रोज
की मुलाकातें तय.
जैसे कि पिछले जनम की बिछड़ी
सहेली हो कोई.
भंवरे की गूंजन सी घुलने
लगी कानों में.
जैसे संगीत की महफ़िल
हिस्सा हो कोई.
गुलाबों की खुशबू
से महकने लगा
बाग सारा.
जैसे कि इत्र का
कारखाना हो आंगन
में कोई.
लहलहाते धनिये और पुदीने
ने जिंदगी का स्वाद कुछ
ऐसे बढ़ा दिया.
जैसे बचपन ना हो वो
खट्टी मीठी चटनी हो
कोई.
शिल्पा रोंघे
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