व्यंग्य
आजकल पूछने से पहले किसी
के हालचाल दिल में आने
लगता है ये सवाल कहीं
वो लोग ये ना सोच ले कि
कोई ना कोई इन्हें होगा
हमसे काम.
ये सोचकर चुप रह जाते है
हम.
आजकल पूछने से पहले
हालचाल दिल में आने
लगता है ये सवाल
कि कहीं वो लोग ये ना सोच ले कि हमें
इनकी निजी जिंदगी से तो नहीं है कुछ
लेना देना.
ये सोचकर चुप रह जाते है हम.
एक बात के सौ मतलब, बेमतलब
ही निकल जाते है.
अर्थ का अनर्थ हो ना जाए अकारण.
ये सब सोचकर ही
चुप रह जाते है हम.
बस जवाब भर देते है
और सवाल नहीं करते है हम.
शिल्पा रोंघे
आजकल पूछने से पहले किसी
के हालचाल दिल में आने
लगता है ये सवाल कहीं
वो लोग ये ना सोच ले कि
कोई ना कोई इन्हें होगा
हमसे काम.
ये सोचकर चुप रह जाते है
हम.
आजकल पूछने से पहले
हालचाल दिल में आने
लगता है ये सवाल
कि कहीं वो लोग ये ना सोच ले कि हमें
इनकी निजी जिंदगी से तो नहीं है कुछ
लेना देना.
ये सोचकर चुप रह जाते है हम.
एक बात के सौ मतलब, बेमतलब
ही निकल जाते है.
अर्थ का अनर्थ हो ना जाए अकारण.
ये सब सोचकर ही
चुप रह जाते है हम.
बस जवाब भर देते है
और सवाल नहीं करते है हम.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment