Wednesday, May 2, 2018

तू बन साहसी नारी

कलम कहां पर्दा करती है.
तू खुद ही लिख अपने अधिकारों की कहानी.
दे किसी और के हाथों में अपने जीवन की डोर
ऐसी कठपुतली नहीं, तू है आज की नारी.
अपने जीवन की बागडोर तू अपने ही हाथों
में रख, बन ऐसी साहसी नारी.

शिल्पा रोंघे

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