ज़िंदगी की धूप में खड़ा रहा यूं मुद्दतों
तक.
बैठा छांव तले पेड़ों की कुछ पल के लिए,
तो कुदरत के इस अहसान को ही उसकी
मोहब्बत ही समझ बैठा.
शिल्पा रोंघे
तक.
बैठा छांव तले पेड़ों की कुछ पल के लिए,
तो कुदरत के इस अहसान को ही उसकी
मोहब्बत ही समझ बैठा.
शिल्पा रोंघे
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