जो मंजिल की खोज करने
लगा आए दुनिया का चक्कर
वो फिर उसी मुकाम पर पहुंच
गए.
जिंदगी का सफ़र भी होता है कुछ यूं ही.
रिश्तों की पकड़ होती है मजबूत इतनी
बिखरते है, मगर छूटते कहां है आसानी
से.
शिल्पा रोंघे
लगा आए दुनिया का चक्कर
वो फिर उसी मुकाम पर पहुंच
गए.
जिंदगी का सफ़र भी होता है कुछ यूं ही.
रिश्तों की पकड़ होती है मजबूत इतनी
बिखरते है, मगर छूटते कहां है आसानी
से.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment