सब्र का बांध टूटने लगे जब.
आत्म विश्वास के धागे चटखने लगे जब.
तब हौंसले का बना के पुल
मुसीबतों का दरिया भी इंसान पार सकता है कर.
शिल्पा रोंघे
आत्म विश्वास के धागे चटखने लगे जब.
तब हौंसले का बना के पुल
मुसीबतों का दरिया भी इंसान पार सकता है कर.
शिल्पा रोंघे
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