कोई ख़ास ज़िंदगी में आएगा.
कोई मुझे अपनाएगा.
कोई अपना नाम मुझे देगा.
तभी मैं प्रेम शब्द के मायने
समझूंगी ?
ऐसा नहीं है.
प्रेम की धारा
तो मुझमें बहती है.
वो मेरे अंदर है
अगर नहीं, तो बाहर
भी नहीं.
हां मुझे खुद
से प्यार है
हां उस पर ऐतबार
है.
कोई समझे ना समझे
ये मेरी कमी नहीं.
मैं प्रीति थी, हूं और रहूंगी.
शिल्पा रोंघे
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