Sunday, December 30, 2018

तितली

कविता - तितली

क्या वो होली खेलती
है,
या इंद्रधनुष को पंखों
में समेट लेती है, जो
भी हो तितली की चंचलता
और सुंदरता सबका मन मोह
लेती है.

पराग की मिठास उसके
रूप में झलकती है.

फूलों से नाता है पिछले जन्म
का शायद कोई, इसलिए हर
बाग को अपना घर ही समझती
है.

मानव मन को खूब भाती है.
कहां हाथ वो किसी के आती है, हथेली से फिसले जल की तरह झट से उड़ जाती है.

शिल्पा रोंघे

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