Sunday, December 9, 2018

सचमुच का प्रेम

दो लोग सचमुच प्रेम में हो.

तो बंधन भी प्यारा लगता है.

नहीं हो तो स्वतंत्रता भी 

बोझ लगती है.

प्रेम या तो "है" या "नहीं" है.

यहां बीच का कोई रास्ता 

नहीं निकलता.

शिल्पा रोंघे 

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