Tuesday, December 18, 2018

ये भी खूब है

अक्सर मुक्कमल होने से बेहतर 

है कबूल कर लेना कहानी का अधूरा ही रह जाना.

हमेशा बस में नहीं होता इंसान के 

मनचाहा अंत लिख पाना.

शिल्पा रोंघे 

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