चंद्र की शुभ्र किरणें
ले रही विदा दुल्हन
की तरह.
रात्री की डोली में
बैठकर उन्हें
सूर्योदय के घर
जाना है.
तम तो प्रकाश
तक जाने का प्रतिदिन
का साधन है.
किंतु आज पिछले बरस को
सबको नवीन
वर्ष से मिलवाना
है.
शिल्पा रोंघे
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