Monday, December 10, 2018

रहो पंछी की तरह

सूरज की रोशनी,

पानी,

हवा,

धरती, 

पर नाम किसी का लिखा 

होता नहीं, अपने अपने हिस्से 

की सब पाते हैं.

रहो पंछियों की तरह 

जो डाल डाल पर 

चहचहाते है, खुशी 

के गीत गाते है 

बिना किसी मशीन का

सहारा लिए.

शिल्पा रोंघे 

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