धीमा जहर
फ़िजाओं में है कहां तक
बचोगे ज़नाब.
सड़कों पर दौड़ती
गाड़ियां, शहर में
बनीं फैक्ट्रियों
की चिमनियां
छोड़ती है पल पल
धुआं.
अब तो काली मैली
प्रदूषित सी हो रही
नदियां कब तक
पानी पीने से बचोगे
भला ?
अब सब्जियों में
नहीं लगते कीड़े
और इल्लियां
कीटनाशकों का छिड़काव
सेहत का भी नाश कर रहा.
सफेद दूध
पानी हो रहा.
मिलावट का यूं असर
हो रहा कि आम आदमी
कह रहा क्या खायें और
क्या नहीं कि सेहत को
ना लगे यूं चूना.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment