बहुत सुनाते हो तुम
लेकिन सुनते कम हो.
प्रश्न पूछते बहुत हो.
उत्तर भी अपने हिसाब
से चाहते हो.
तो मैं इसे प्रश्न समझूं
या निर्देश.
अपनी शर्तें रख देते
हो मेरे सामने अनगिनत
मेरी एक बात सुनकर
अपना रस्ता बदल लेते हो.
हे पुरूष किस आदिम युग
से ताल्लुक रखते हो तुम
जहां बिना गलती के अहिल्या
पत्थर बन गई राम के चरण
छूते ही तर गई.
चलो मैं तुम्हारी खातिर
सीता बन जाती हूं, लेकिन
क्या वाकई तुम राम हो ?
शिल्पा रोंघे
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