Friday, December 7, 2018

उसकी यादें

उसके दिए  फूलों को 
उसने किताबों 
में छुपा कर रख दिया था.
पूछते है लोग अब 
तुम्हारी किताबों 
पर इत्र फैल गया था 
क्या ?

शिल्पा रोंघे 

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...