उम्मीद तो बहुत होगी मुझे
और तुम्हें दुनिया से.
और तुम्हें दुनिया से.
लेकिन इन उम्मीदों का
अंत जीवन के अंत तक होता
नहीं.
अंत जीवन के अंत तक होता
नहीं.
चलों सारी उम्मीदों को खत्म कर देते है
आज ही इस दुनिया से.
आज ही इस दुनिया से.
बस एक उम्मीद तुम रखों मुझसे
और मैं तुमसे.
और मैं तुमसे.
जानते हो क्या तुम क्या होगी वो
उम्मीद,
यूं तो है वो छोटी सी, लेकिन है अनमोल सी.
उम्मीद,
यूं तो है वो छोटी सी, लेकिन है अनमोल सी.
ज्यादा कुछ नहीं होगी वो सिर्फ
निस्वार्थ प्रेम की.
निस्वार्थ प्रेम की.
शिल्पा रोंघे
No comments:
Post a Comment