सूरत का गुमान तब खत्म हो
जाता है, जब इंसान को
उसकी सीरत परखने वाला
मिल जाता है.
अक्सर इंसान सूरत से ही दिल लगा
बैठते है और ज़िंदगी भर पछताते रहते है.
बहुत ही कम लोग होते है जो अच्छी सूरत
और सीरत का संगम पाते हैं.
सीरत को परखना है ज़रूरी पहले,
फिर सूरत की बारी आती हैं.
जाता है, जब इंसान को
उसकी सीरत परखने वाला
मिल जाता है.
अक्सर इंसान सूरत से ही दिल लगा
बैठते है और ज़िंदगी भर पछताते रहते है.
बहुत ही कम लोग होते है जो अच्छी सूरत
और सीरत का संगम पाते हैं.
सीरत को परखना है ज़रूरी पहले,
फिर सूरत की बारी आती हैं.
शिल्पा रोंघे
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