Wednesday, January 17, 2018

कैसे करे रचना अब

कैसे करे रचना अब
कैसे लाए खट्टा मीठा सा स्वाद शब्दों में
नहीं दिखते वो बेरी के पेड़
जो गिरते थे पेड़ों से अचानक ही.
कैसे करे रचना अब
कैसे लाए वो मिठास शब्दों में
शहरीकरण के चलते नहीं दिखते
बरगद के पेड़ों पर लगे शहद के छत्ते.
कैसे करे रचना अब
कैसे दे शब्दों को आवाज़
सुनाई देती नहीं कोयल की कूक और
भवंरे का गुंजन.
कैसे करे रचना अब
कैसे दे शब्दों को महक
कि खिलते नहीं आस पास फूल
कैसे करे रचना अब
कैसे लाए शब्दों में बहाव
कि सूख रहे झरने और ताल
गर नहीं रहेंगे रचना स्रोत ही
तो कैसे होगा सृजन ?
शिल्पा रोंघे

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होली

 इस होली, हम रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि सिर्फ शांति और सौहार्द का संदेश फैलाएंगे।