Saturday, January 20, 2018

साहिलों पे

साहिलों पर कसमें खाते है जो
हमेशा साथ रहने की वो ही
अक्सर छोड़ देते है साथ
मझधार में.
न डरना तुफ़ानों से ए मुसाफ़िर
वो ही तो  अपनों और बेगानों
की पहचान कराते हैं.

शिल्पा रोंघे

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