सच में प्रेम करने के लिए दिमाग
की जरूरत नहीं होती.
की जरूरत नहीं होती.
सच में प्रेम करने के लिए पोथी और पुराण पढ़ने
की जरूरत नहीं होती.
की जरूरत नहीं होती.
सच में प्रेम करने लिए किसी दांव और पेंच की
जरूरत नहीं होती.
जरूरत नहीं होती.
सच में प्रेम करने के लिए साज और सजावट की
जरूरत नहीं होती .
जरूरत नहीं होती .
हां सच्चे ज़ज्बातों की जरूरत जरूर है होती.
प्रेम करना सीखना है तो पशु और शिशु को देखों,
एक बार दुलार और देखभाल करके तो देखों
यूं तो दोनों ही बुद्धिहीन से कहलाते,
लेकिन प्रेम देने वाले चेहरों को ये कभी
नहीं है भूलते.
एक बार दुलार और देखभाल करके तो देखों
यूं तो दोनों ही बुद्धिहीन से कहलाते,
लेकिन प्रेम देने वाले चेहरों को ये कभी
नहीं है भूलते.
दिमाग वाले जो लोग भी प्रेम
को नहीं समझ है पाते.
ये नासमझ से समझी जाने वाली दो जाने
पूरी तरह इसे परिभाषित है कर जाते.
को नहीं समझ है पाते.
ये नासमझ से समझी जाने वाली दो जाने
पूरी तरह इसे परिभाषित है कर जाते.
शिल्पा
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