एक दिया तुम रखों
एक दिया मैं रखूं
एक फूल तुम रखों
एक फूल मैं रखूं
देवी के आगे.
देखों फिर क्या मज़ाल
अंंधेरे की जो आए मेरे
और तुम्हारें जीवन में.
चाहे वो अंधेरी सुरंग सा क्यों ना हो.
शिल्पा रोंघे
एक दिया मैं रखूं
एक फूल तुम रखों
एक फूल मैं रखूं
देवी के आगे.
देखों फिर क्या मज़ाल
अंंधेरे की जो आए मेरे
और तुम्हारें जीवन में.
चाहे वो अंधेरी सुरंग सा क्यों ना हो.
शिल्पा रोंघे
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