Sunday, January 21, 2018

आशा के फूल

सितारों को गिन लूं आसमान के ये तो मुमकिन नहीं.
चांद और तारे तोड़ लूं आसमान के ये भी मुमकिन नहीं.
हां छोटा सा आंगन है मेरे घर पर.
गमलों में आशा के फूल लगाए थे.
जो अब खिलने लगे है और महकने लगे है.
इनकी महक जीने के लिए कम थोड़े ही ना है.

शिल्पा रोंघे

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...