Friday, November 30, 2018

मोमबत्ती की कहानी


रंग बदलती दुनिया 

को देखकर मोमबत्ती 

ने किरदार उसी मुताबिक 

कर लिया.

खुद पिघलकर रोशनी दे गई.

तो कभी सांचे के आकार में ढल

गई.

किसी के लिए

एक मोमबत्ती की लौ

ही काफी 

है, वरना रोशन 

महफ़िल में भी अंधेरे 

की शिकायत सुनने 

को मिलती है.

शिल्पा रोंघे 

काश ऐसा हो

फिरदौस की चाह नहीं मुझे.
काश हो ऐसा भी जब तू मिले तो मन में मेरे बेमौसम गुल खिले.

शिल्पा रोंघे

दिल की बात

लिख लिए कुछ पत्र ईश्वर 

के नाम पर.

पता मालूम नहीं था, तो बहा 

दिया किसी नदिया में.

सुना और पढ़ा है कण -कण

में रहता है वो.

करके विश्वास लिख दी 

हृदय की बात.

कोलाहल भी नहीं हुआ शब्दों का और मन भी हल्का हो गया.

शिल्पा रोंघे 

Thursday, November 29, 2018

ज़िंदगी से कोई गिला नहीं



जो मिला है ज़िंदगी 

से उससे कोई गिला 

नहीं है.

हर पाठ मैंने बड़े 

ध्यान से पढ़ा है.

कभी सबक मिला है 

तो कभी अनसुलझे सवालों 

का ज़वाब मिला है.

शिल्पा रोंघे 

व्यंग्य - दुल्हे राजा 

उम्र हमारी बढ़ रही तो क्या ?

समाज ने कायदा बनाकर 

रखा है वधु की उम्र कितनी 

भी कम चलती है तो सारी 

उम्र ढूंढने में लगा देंगे.

हम कम सुंदर है तो क्या हुआ.

समाज ने कायदा बना के रखा 

है.

लड़की तो सुंदर होनी चाहिए 

चांद सी उजली, आंखें उसकी 

हिरणी सी चंचल, होंठ गुलाब 

से होने चाहिए.

कहती है दुनिया घर चलाना 

पुरूषों का काम है, लेकिन 

हम आधुनिक पुरूष ये 

अन्याय नहीं सहेंगे 

आधा खर्चा उसे 

करने को कहेंगे.

एक दो डिग्रियों से 

कहां काम चलता है 

साहब हम अपनी

तरह उसे डिग्रियों 

का ढ़ेर लगाने 

को कहेंगे.

चाहे थक जाए 

दिन भर वो घर 

के काम में, हाथ 

बंटाना समाज 

के कायदों के

खिलाफ़ है.

अपनी मूंछों 

पे ताव देकर 

हम ये बात 

कहेंगे क्योंकि 

दुनिया के कायदे

हमें ध्यान में रखकर 

लिखे गए है.

शिल्पा रोंघे 

इश्क किया नहीं जाता

कहा उन्होंने इश्क के मामले 

में नौसिखिया हो तुम.

ये दिलों का खेल नहीं समझ सकती तुम.

हमने कहा ये कोई तालिम 

नहीं जो मैं करूं हासिल.

इश्क सीखा नहीं जाता 

हो जाता है.

शिल्पा रोंघे 

पानी की कहानी

किसी ने कहा सिर्फ चलते रहने 

से क्या मिलता है.

मैंने कहा जो फर्क पानी 

के ठहरे रहने और बहने से पड़ता 

है.

शिल्पा रोंघे 

Wednesday, November 28, 2018

दिल क्या करे

दिल ही तो टूटा है कोई 

कांच नहीं दर्द होगा 

बस हमें उन्हें नहीं.

आईना देखकर मुस्कुराएंगे 

वो हमेशा की तरह ही.

दिल के टुकड़ो की चुभन 

अब सिर्फ सताएगी 

हमें ही.

शिल्पा रोंघे 


मोहब्बत का खेल

खेल बन चुकी है अब तो
मोहब्बत.

उसकी खुशी के लिए मैंने
हारना ही मुनासिब समझा.

नहीं जरूरत उसे मेरी
तो दूर जाना ही ठीक
समझा.

क्या करूं में ऐसी जीत
का, जहां मेरा होना या ना
होना ही मायने नहीं रखता.

समझा था जिस इश्क को
कोई मंदिर वो
असल में दिल का बाज़ार
निकला.

शिल्पा रोंघे




दर्द का मकसद

दर्द का मकसद बस बताना यही 

कि आप अभी जिंदा है.

वरना जिंदगी से जुदा होकर 

कौन इसकी शिकायत करता 

है.

शिल्पा रोंघे 

Tuesday, November 27, 2018

तेरा मेरा मिलना

तेरा मेरा मिलना 

एक यादगार पल 

होगा.

ना इतिहास दोहराया 

जाएगा.

ना भूगोल बाधा बन 

पाएगा.

ना कोई विज्ञान 

ये पहेली सुलझा 

पाएगा.

ना गणित 

का कोई समीकरण 

इसे बदल पाएगा.

एक ऐसी भाषा 

बन जाएगा जिसे 

पढ़ पाएंगे 

बस हम तुम.

शिल्पा रोंघे


बचपन की यादें

आसमान के तारें
गिनना नामुमकिन
था, ऐसे में नींद का
आना तय था, मासूम
मन का असंख्य तारों को
गिनने का शौक भी
निराला था.

शिल्पा रोंघे

क्या ये प्यार है

सारे विकल्पों 

को छोड़ के गर 

सिर्फ कोई तुम्हें 

चुने तो मजबूरी 

नहीं प्रेम है ये.

अपनी फिक्र छोड़कर

कोई तुम्हे चुने तो बेवकूफ़ी 

नहीं प्रेम है ये.

चाहने वाले बहुत 

मिलेंगे मतलब के लिए.

बिना मतलब के चाहने 

वाला कोई मिले.

तभी उसे प्रेम का नाम दे.

वरना महज एक विकल्प 

भर कहे.

शिल्पा रोंघे


कविता

किसी ने पूछा कविता क्या होती है ?

मैंने कहा जो दिल से निकलती 

है और दिल को छूती हो.

जैसे नदी की लहर समुंदर 

में जा मिलती है.

शिल्पा रोंघे 

तेरी मोहब्बत में

तेरी मोहब्बत में हम इबादत करना 

भूल गए.

तुझे जिंदगी बनाकर, जिंदगी 

देने वाले को भूल गए.

अब काफ़िर होने का इल्ज़ाम 

वो लोग भी लगाने लगे 

जो बड़े अदब से बात किया 

करते थे.

शिल्पा रोंघे 

Monday, November 26, 2018

तेरे चेहरे से

तेरे चेहरे से बरसता था जो नूर
उसे हमने आंखो में लिया था बसा.
इससे बड़ा सबूत और क्या दे भला ?
लोगों से ही पूछ लो
जिन्होने चेहरे पर सजी चमक को महसूस है किया.
शिल्पा रोंघे.

कोरा कागज

जिस कोरे कागज 

पर लिखते है लोग 

हाल ए दिल.

कहता है वो 

कभी मेरी कहानी 

भी लिखो ना.

मैं भी कभी जिंदा 

था, आज हूं 

खाली,  पेड़ 

में भी कभी हरा 

भरा था, जिसकी 

छाया तले बैठकर 

तुमने भी कोई गीत 

गुनगुनाया था.

शिल्पा रोंघे 

नारी

पुरुष अहं पर गलती से
चोट मत कर देना नारी,
सही और गलत
का निर्णय करना
सिर्फ पुरूषों
का अधिकार है,
मानते है तो मानने देना.
कहते है गलत तुम्हें
तो कहने देना
क्यों एक बेचारी
बन कर रहना.
क्यों घुट घुट
के जीना.
क्या सिर्फ आदर्श
नारी की छवि को ढोने
के लिए, आखिर किस लिए ?

शिल्पा रोंघे

हर दिन उत्सव

मानो तो हर दिन उत्सव है जिंदगी
ना मानो तो कुछ भी नहीं.

कोई रिश्ता, कोई उपलब्धि
खुश नहीं कर सकती.
जब तक अंतरआत्मा संतुष्ट नहीं.

किसी को खुद के बारे में
सोचकर खुशी मिलती है,
तो किसी को खुशियां बांट कर मिलती
है.

फर्क सिर्फ नज़रिये का.
वरना हर कोई खरीद
लेता खुशियों को.

शिल्पा रोंघे

Sunday, November 25, 2018

वो जो लोग

जमीन पर भी पैर संभाल कर रखा 

करते है, कहीं मैले ना हो जाए कदम.

सांस भी संभालकर लिया करते 

है.

ना सूरज की रोशनी 

में खुद को तपने देते 

है.

पानी भी सोच समझकर पीते है.

वो जो लोग बड़ी बड़ी 

बातें किया करते है,

क्या सचमुच जमीन

से जुड़े होते है.

क्या जो वो कहते है 

खुद  भी अमल 

में लाते हैं ?

शिल्पा रोंघे 

दिल का मुखौटा

दिल का मुखौटा 

लगाकर वो दिमाग 

वाली बातें किया 

करते है.

हम भी नादान 

इतने दिमाग को 

अनसुना करके 

दिल से उनकी बातों 

पर यकीं किया करते 

है.

शिल्पा रोंघे 

परिपूर्ण कोई नहीं

परिपूर्ण कोई नहीं
है दुनिया में,

दो अपूर्ण ही
एक पूर्ण बनाते
है.

संपूर्णता की तलाश
यानि ईश्वर की
खोज है.

रचयिता ने
जानबूझकर कुछ
कमियां, और खामियां
छोड़ी है.

वरना इंसान को
एक दूसरे की जरूरत
ही नहीं होती.
ना दुनिया होती,
ना हम और ना तुम होते.

शिल्पा रोंघे

Saturday, November 24, 2018

सोचा था यूं

सोचा था घर बनायेंगे 

दिल में उनके भी,

उनको समुंदर 

खुद को किनारा

समझ बैठे.

भूल गए थे शायद

रेत के घर लंबे 

नहीं टिका करते.

मुसाफ़िर लहरों 

से दिल लगाया 

नहीं करते.

शिल्पा रोंघे


कब होगा ये सिलसिला ख़त्म

तेरे ख्यालों 

से दिन शुरू 

होता है,

 तेरे ख्यालों 

से दिन ढलता 

है.

रात भी चैन

से सोने नहीं 

देती.

ना जाने क्यों ख़्वाबों 

में भी तेरा बसेरा

रहता है.

कहने लगे है लोग

अब तो जिस दिन 

मेरा दम निकलेगा 

उस दिन ही ये किस्सा 

खत्म होगा.

तुम ही बता दो 

कि ज़हन से 

तुम्हारा ख़्याल 

कब निकलेगा ?

शिल्पा रोंघे 

पेन्सिल की कहानी

पेन्सिल की
कहानी

कई किरदार गढ़े
अब तक कविता
और कहानी में,
कल्पना में रंग भरते भरते.
कोरे कागज पर लफ़्ज
बनाते बनाते हर रोज
कद में कम होती रहती
हूं.
हमेशा नए किरदार
गढ़ती हूं कहानी
में, सोचती हूं
शब्द तो
अमर हो जाते है.
मेरा वजूद कहां
है?
शिल्पा रोंघे

दुआ

ना हाथों की लकीरों 

पर भरोसा है, ना किसी 

की भविष्यवाणी पर भरोसा 

है, मुझे बस मेरी चाहत पर 

भरोसा है, गर होगा ऐब उसमें 

तो उपरवाला उससे दूर कर देगा,

गर सही होगा तो दुआ 

मेरी मंजूर कर लेगा.

दोनों ही तरह से 

फैसला मेरे हक में होगा.

शिल्पा रोंघे 

Friday, November 23, 2018

औरत की चाहत

महंगे गहनों का शौक रखती होगी.
आलिशान घर की चाहत रखती होगी.
दौलत की ख्वाहिश रखती होगी.
रुको ज़रा किसी औरत के बारे
में सोचने से पहले.
अक्सर औरत इन सबके बारे
में सोचती भी नहीं.
कभी कभी वो स्नेह, सम्मान
की चाहत ही
रखती है जिसे देना हर
किसी के बस की बात नहीं.
शिल्पा रोंघे

हमराज भी संभालकर बनाए

हमराज भी संभालकर
बनाना चाहिए क्योंकि दर्द
बांटने वाले बहुत कम
मिलेंगे पर उसकों हथियार बनाने
वालों को आप गिन भी नहीं पाएंगे

शिल्पा रोंघे

इतना भी ना झुको

किसी को इतनी भी ज्यादा 

अहमियत ना दो.

कि वो तुम्हारी हैसियत 

को कम आंकने लगे.

विनम्रता को कभी 

कमजोरी ना बनने दो.

शिल्पा रोंघे 



 

Thursday, November 22, 2018

दिलबर ना सही इंसान ही

प्यार, इश्क, मोहब्बत 

की मीठी मीठी 

बातों में महारत 

हासिल ना हो सकी 

हो भले ही.

एक दिल और धड़कन 

मेरे पास भी है.

अपने वादों से ना मुकरने 

की शराफ़त मुझमें भी 

है.

दिलबर बन सकूं 

या ना सकूं,इंसान 

बनने की कुव्वत 

मुझमे भी है.

 

कैसा ये सिलसिला

ना जाने कब बंद 

होगा गलतफ़हमियों 

का सिलसिला.

चुप्पी की ये दीवार 

कभी तो टूटे,

हमें मानते है वो 

अपना या नहीं 

इस भ्रम से पीछा 

तो छूटे.

शिल्पा रोंघे 





कुछ यूं करना

खुशी अपने मन के तहखाने 

में रख लेना.

अपने आंसू मुझे

दे देना.

हमनशीं 

ना सही हमदर्द 

ही बना लेना.

शिल्पा रोंघे 

कलम की कहानी

अक्सर होता है यूं

जो कलम पूरी 

स्याही खर्च 

कर देती है कोरे 

कागज को भरने 

में वहीं अंदर 

से इक दिन 

खाली हो जाती 

है, मशहूर 

पन्ने हो जाते 

है और कलम 

ना जाने कहां 

गुमनाम सी जिंदगी 

बिताती है.

शिल्पा रोंघे

Tuesday, November 20, 2018

ख़्वाब

कड़वी
हकीकतों का
सामना करने के लिए
तो पूरी जिंदगी पड़ी
है.
पता है मुझे झूठा है
कुछ टूटा सा है,
हकीकत से कोसों
दूर वो महज
सिर्फ एक ख़्वाब
है, देखने दो मुझे
खुलकर जीने दो
मुझे कुछ पल के
लिए.
शिल्पा रोंघे

कैसी ये चाह

गुजरते है हर 

रोज जिस 

रास्ते से मुसाफ़िर 

जिंदगी के सफ़र के लिए,

हम भी वहां 

से गुजरा करते 

थे, राह में खड़े 

बुत से हमदर्दी कर 

बैठे, चोट खाई जिस

पत्थर से उसी से मरहम 

की उम्मीद लगा बैठे.

दिल पे लगी थी छोटी सी चोट को नासूर 

बना बैठे.

शिल्पा रोंघे

मत कर उम्मीद

मत कर उम्मीद 

उनसे जो तेरी 

रूह से नहीं तेरी 

सूरत को देखकर 

दिल की बातें किया

करते है.

भूल जा उन्हें 

जो मौसम की 

तरह बदल जाया 

करते है.

शिल्पा रोंघे 

Monday, November 19, 2018

क्या बची है दुनिया में मोहब्बत?

वजहें तो बहुत
ढूंढ़ते हैं लोग
रिश्ता जोड़ने
की.

तुम बेवजह
ही बंधन में
बांध लेना,

क्या बची है दुनिया
में मोहब्बत सचमुच ?
ये यकीं दिल को
दिला देना.

शिल्पा रोंघे

मेरा मन

चंचल,

कल -कल, छल छल

निशब्द 

सा बहता

मेरा मन 

तुम बंधन

बन जाना 

वेग को मेरे 

काबू कर लेना 

मैं नदी बन 

जाउंगी तुम बांध 

बन जाना.

शिल्पा रोंघे 


मैं वो इबारत हूं

मैं वो इबारत हूं 

जिसकी भाषा 

समझ ना सकोगे 

तुम.

मुझे समझने के लिए 

दिमाग नहीं खुले दिल की ज़रूरत

है.

शिल्पा रोंघे 

Sunday, November 18, 2018

एक आस

ना देखा, ना मिली, ना महसूस
किया फिर भी उपरवाले में
यकीन करती हूं.
जो नहीं देता वो और देना
चाहता है वो उस पर छोड़
देती हूं.
क्योंकि गुजरा वक्त
गवाह है जो भी हुआ अच्छा
हुआ, नहीं हुआ वो भी अच्छा हुआ
और जो होगा वो भी अच्छा
होगा.
बस मैं अपना काम करती रहूं ऐसा साहस मुझमें भरता रहे यही चाह है मेरी.

शिल्पा रोंघे

Saturday, November 17, 2018

नौ रसों की गाथा

बिना मिठास के फल ही क्या ?

बिना रस के काव्य की 

रचना ही कैसे हो भला.

चलो रस भरते है जीवन 

में, काव्य रचते है रंग 

बिरंगे से हम.

प्रेम रस के रूप अनेक

श्रृंगार, वात्सल्य, भक्ति का 

का होता संचार.

कभी मिलन है तो कभी 

विरह है, श्रृंगार रस.

कभी कृष्ण तो कभी 

राधा है इसका दूसरा नाम.

कभी ममता का आंचल है

तो कभी  डांट फटकार

है वात्सल्य रस.

कभी यशोदा, तो कभी 

देवकी है इसकी

पहचान.

कभी आस्था है, तो कभी 
प्रार्थना है.

कभी राम भक्त हनुमान 
तो कभी मीरा, तुलसी,
सूरदास और कबीर है 
भक्ति रस की मिसाल.

कभी शौर्य तो कभी 
साहस की गाथा है.

कभी रण में वीरगति 
तो कभी विजय की 
गाथा गाता वीर रस 

है.

कभी शिव का तांडव 
तो कभी प्रकृति 
का कोप है,
क्रोध की गाथा 
गाता रौद्र रस 
है.

कभी अनोखी कला,
तो कभी कारनामा है.

आश्चर्य से भर देने 
वाली अद्भुत रस 
की गाथा है.

भय  और घबराहट 
का करता संचार है,

शत्रु को कांपने 
पर कर दे मजबूर 
वो भय रस है.

कभी ध्यान 
तो कभी मौन 
है.

तन मन को कर 
दे शीतल वो शांत 
रस है.

कभी गुदगुदा दे कभी 
व्यंग्य करे.

हास्य का जो भाव जगाए 
वो हास्य रस है.

कम प्रचलित 
और अपवाद स्वरूप होता इस्तेमाल है, वो वीभत्स रस है.

कभी बरसे नयनों से 
अश्रु की धारा,
जब शब्द व्यक्त 
करते शोक.

जब खो जाती सुख 
की आशा, मन में सहानुभूति 
और दया भाव जागता,
वो करूण रस कहलाता है.

कभी धूप तो कभी छांव
है कुछ ऐसे कविता के नौ
रस है.

शिल्पा रोंघे

पंछी की दास्तान

मांगा था साथ तब
अकेलापन मिला
मुझे.

मांगा थी आजादी
तब कैद मिली मुझे.

कहने को पंख है
मेरे.

पंछी होकर
इंसानों
से प्यार कर बैठा
जाहिल होकर
भी समझदारों
से दोस्ती कर बैठा.

गया नहीं स्कूल कभी
फिर भी तहज़ीब
उनके साथ रहकर
सीख गया.

जिसे भूल चुके
थे वो ना जाने कब
से.

शिल्पा रोंघे

Tuesday, November 13, 2018

चलो चलते है

जिंदगी है ही कितनी लंबी जो
यूं बीत जाए इंतज़ार
में.

चलो चलते उस पार
जहां है एक मंजिल
तुम्हारी और हमारी.

इससे पहले कहीं हवा
रुख़ मोड़ ना दे
सफ़र का कोई.

शिल्पा रोंघे

Monday, November 12, 2018

ये कैसी होड़ ?

कोई जाति को

सर्वश्रेष्ठ बताने 

में जुटा है.

तो कोई भाषा 

को सर्वश्रेष्ठ बताने में

जुटा है.

कोई धन संपत्ति को

सर्वश्रेष्ठ बताने में जुटा है.

कोई ज्ञान को

सर्वश्रेष्ठ बताने 

में जुटा है.

जब मिट्टी में ही मिल जाना 

है इक दिन ये जानकर भी 

व्यक्ति बिना मतलब के 

अहंकार को पालने पोसने 

में जुटा है.

मानवीयता का अस्तित्व 

इस होड़ में ना जाने 

कहां खो गया है.

शिल्पा रोंघे 







क्या तुम ?

क्या मैं तुम्हारे मन के आंगन
का फूल बन सकती हूं ?

शायद कुछ कांटे भी मेरे
साथ हो चलेंगे.

क्या मैं तुम्हारे मन में बसी
प्रतिमा बन सकती हूं?

शायद  कुछ छोटे कंकड
पत्थर भी साथ हो चलेंगे.

क्या मैं तुम्हारे हृदय में
प्रेम धारा बनकर बह
सकती हूं ?
शायद कुछ बवंडर
भी साथ आएंगे.

कभी खट्टे तो कभी मीठे
जीवन के अनुभव तुम्हें
आएंगे.

क्या ये गहरे कभी हल्के
कभी सुनहरे, तो कभी
मटमैले से जीवन के रंग
तुम्हें सुहाएंगे ?

कभी फ़ुरसत मिले जीवन
की आपाधापी से तो
मेरे मन के इन प्रश्नों
को हल कर देना.
ना रखना मन पर भार
कोई, अपना समझकर
सब कुछ साफ साफ कह
जाना .

शिल्पा रोंघे

Saturday, November 10, 2018

अधूरे ख़्वाब

कुछ अधपके से ख़्वाब 

रखे थे सिराहने पे.

उम्मीद है सुबह की धूप 

काम आएगी उसे पकाने 

में.

शिल्पा रोंघे 

Monday, November 5, 2018

दीपावली का त्यौहार

पांच पावन दिन जब 

मिलते तो बनता 

दीपों का हार. 

रोशनी की सजती 

हर घर बारात.

फूलों के तोरण 

से बाग सा सुंदर 

लगता हर घर 

द्वार.

सात रंग की रंगोली 

से होता इंद्रधनुष 

सा आभास.

हर घर की रसोई 

में महकती मीठे 

नमकीन पकवानों 

की सुगंध.

कुछ इस तरह 

स्नेह और उल्लास 

से मनाया जाता 

है दीपावली का 

त्यौहार.

शिल्पा रोंघे 

  

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...