Monday, November 26, 2018

कोरा कागज

जिस कोरे कागज 

पर लिखते है लोग 

हाल ए दिल.

कहता है वो 

कभी मेरी कहानी 

भी लिखो ना.

मैं भी कभी जिंदा 

था, आज हूं 

खाली,  पेड़ 

में भी कभी हरा 

भरा था, जिसकी 

छाया तले बैठकर 

तुमने भी कोई गीत 

गुनगुनाया था.

शिल्पा रोंघे 

No comments:

Post a Comment

मेघा

देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस  फिर से, ...