Monday, November 26, 2018

हर दिन उत्सव

मानो तो हर दिन उत्सव है जिंदगी
ना मानो तो कुछ भी नहीं.

कोई रिश्ता, कोई उपलब्धि
खुश नहीं कर सकती.
जब तक अंतरआत्मा संतुष्ट नहीं.

किसी को खुद के बारे में
सोचकर खुशी मिलती है,
तो किसी को खुशियां बांट कर मिलती
है.

फर्क सिर्फ नज़रिये का.
वरना हर कोई खरीद
लेता खुशियों को.

शिल्पा रोंघे

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