मानो तो हर दिन उत्सव है जिंदगी
ना मानो तो कुछ भी नहीं.
कोई रिश्ता, कोई उपलब्धि
खुश नहीं कर सकती.
जब तक अंतरआत्मा संतुष्ट नहीं.
किसी को खुद के बारे में
सोचकर खुशी मिलती है,
तो किसी को खुशियां बांट कर मिलती
है.
फर्क सिर्फ नज़रिये का.
वरना हर कोई खरीद
लेता खुशियों को.
शिल्पा रोंघे
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