पुरुष अहं पर गलती से
चोट मत कर देना नारी,
सही और गलत
का निर्णय करना
सिर्फ पुरूषों
का अधिकार है,
मानते है तो मानने देना.
कहते है गलत तुम्हें
तो कहने देना
क्यों एक बेचारी
बन कर रहना.
क्यों घुट घुट
के जीना.
क्या सिर्फ आदर्श
नारी की छवि को ढोने
के लिए, आखिर किस लिए ?
शिल्पा रोंघे
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