Sunday, November 25, 2018

परिपूर्ण कोई नहीं

परिपूर्ण कोई नहीं
है दुनिया में,

दो अपूर्ण ही
एक पूर्ण बनाते
है.

संपूर्णता की तलाश
यानि ईश्वर की
खोज है.

रचयिता ने
जानबूझकर कुछ
कमियां, और खामियां
छोड़ी है.

वरना इंसान को
एक दूसरे की जरूरत
ही नहीं होती.
ना दुनिया होती,
ना हम और ना तुम होते.

शिल्पा रोंघे

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