कोई जाति को
सर्वश्रेष्ठ बताने
में जुटा है.
तो कोई भाषा
को सर्वश्रेष्ठ बताने में
जुटा है.
कोई धन संपत्ति को
सर्वश्रेष्ठ बताने में जुटा है.
कोई ज्ञान को
सर्वश्रेष्ठ बताने
में जुटा है.
जब मिट्टी में ही मिल जाना
है इक दिन ये जानकर भी
व्यक्ति बिना मतलब के
अहंकार को पालने पोसने
में जुटा है.
मानवीयता का अस्तित्व
इस होड़ में ना जाने
कहां खो गया है.
शिल्पा रोंघे
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