मांगा था साथ तब
अकेलापन मिला
मुझे.
मांगा थी आजादी
तब कैद मिली मुझे.
कहने को पंख है
मेरे.
पंछी होकर
इंसानों
से प्यार कर बैठा
जाहिल होकर
भी समझदारों
से दोस्ती कर बैठा.
गया नहीं स्कूल कभी
फिर भी तहज़ीब
उनके साथ रहकर
सीख गया.
जिसे भूल चुके
थे वो ना जाने कब
से.
शिल्पा रोंघे
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