रंग बदलती दुनिया
को देखकर मोमबत्ती
ने किरदार उसी मुताबिक
कर लिया.
खुद पिघलकर रोशनी दे गई.
तो कभी सांचे के आकार में ढल
गई.
किसी के लिए
एक मोमबत्ती की लौ
ही काफी
है, वरना रोशन
महफ़िल में भी अंधेरे
की शिकायत सुनने
को मिलती है.
शिल्पा रोंघे
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