Friday, November 30, 2018

दिल की बात

लिख लिए कुछ पत्र ईश्वर 

के नाम पर.

पता मालूम नहीं था, तो बहा 

दिया किसी नदिया में.

सुना और पढ़ा है कण -कण

में रहता है वो.

करके विश्वास लिख दी 

हृदय की बात.

कोलाहल भी नहीं हुआ शब्दों का और मन भी हल्का हो गया.

शिल्पा रोंघे 

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