सारे विकल्पों
को छोड़ के गर
सिर्फ कोई तुम्हें
चुने तो मजबूरी
नहीं प्रेम है ये.
अपनी फिक्र छोड़कर
कोई तुम्हे चुने तो बेवकूफ़ी
नहीं प्रेम है ये.
चाहने वाले बहुत
मिलेंगे मतलब के लिए.
बिना मतलब के चाहने
वाला कोई मिले.
तभी उसे प्रेम का नाम दे.
वरना महज एक विकल्प
भर कहे.
शिल्पा रोंघे
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