I like to write Hindi poetry in comprehensive language, which try to depict different situation and state of mind of human beings. All Rights reserved ©Shilpa Ronghe
Monday, December 31, 2018
2018 की अंतिम रात्रि और नवीन वर्ष की बढ़ता कदम
Sunday, December 30, 2018
तितली
क्या वो होली खेलती
है,
या इंद्रधनुष को पंखों
में समेट लेती है, जो
भी हो तितली की चंचलता
और सुंदरता सबका मन मोह
लेती है.
पराग की मिठास उसके
रूप में झलकती है.
फूलों से नाता है पिछले जन्म
का शायद कोई, इसलिए हर
बाग को अपना घर ही समझती
है.
मानव मन को खूब भाती है.
कहां हाथ वो किसी के आती है, हथेली से फिसले जल की तरह झट से उड़ जाती है.
शिल्पा रोंघे
Saturday, December 29, 2018
गुमनाम ही रहने दो
नवीन वर्ष क्या कहता है.
Friday, December 28, 2018
प्रेरणा के दीप
रॉक गार्डन पर कविता
Thursday, December 27, 2018
ये मौका क्यों आने दें
नवीन वर्ष
लेखक की चाह
पाठक बनने की चाह है.
बनकर लेखक दुनिया के विविध रंग भरे, शब्दों
से बने चित्र में.
है अभिलाषा यह कि काश
कोई निकालकर थोड़ा समय
मेरे बारे में भी
लिखे.
पढ़ सकू वो किताब
केवल मैं ही कभी, काश ऐसा संयोग बने.
शिल्पा रोंघे
Wednesday, December 26, 2018
पहले कुछ यूं कर
Monday, December 24, 2018
ज़िंदगी यही है
सांता क्लॉज़
सांता क्लॉज़
चाह नहीं तोहफ़ों की,
Sunday, December 23, 2018
यादों का कारवां
उनका अंदाज़
तब रूक जाना चाहिए
Saturday, December 22, 2018
क्या ये संभव है ?
कल के लिए क्यों चिंता
वो जो दोस्त दूसरे शहर में छूट गए है.
तुम्हारी ख़ैरियत पूछ लूं...
लेकिन तुम्हारी खामोशी के
आगे मैं भी बेबस हूं.
कैसे हो मुश्किल आसान
Friday, December 21, 2018
कुछ अंदाज़ ऐसा भी
Thursday, December 20, 2018
अब और नहीं
Wednesday, December 19, 2018
दहेज का तिरस्कार
शिल्पा रोंघे
बुद्ध से मिली सीख
देखकर दुनिया के दुख
सिद्धार्थ, सुख त्याग
बुद्ध हो गए.
सुख सुविधाएं
हैसियत है बढ़ाती,
व्यक्तित्व नहीं गढ़ती.
शिल्पा रोंघे
Tuesday, December 18, 2018
ये भी खूब है
अक्सर मुक्कमल होने से बेहतर
है कबूल कर लेना कहानी का अधूरा ही रह जाना.
हमेशा बस में नहीं होता इंसान के
मनचाहा अंत लिख पाना.
शिल्पा रोंघे
कविता पर कविता
प्रेरित भी करती है.
सोचने को मजबूर
करती है.
चकित कर देती है,
दुविधा में डाल देती है,
सुविधा से हटाकर
असुविधाजनक सच्चाई
से रूबरू कराती है.
कभी सुखद सपनों की
दुनिया की सैर कराती
है.
मनोभाव नहीं रह सकते
है सधे हुए सदा इसमें,
आखिर मानव मन से बहती
नदी की तरह होती है.
कभी सीधे तो कभी तिरछे
कभी आड़े तो कभी बुद्धिमान
तो कभी अनाड़ी से भाव
कागज़ पर उमड़ते है तब
जाकर कविता बनती है.
शिल्पा रोंघे
ये ही जिंदगी का नाम है
बड़ी थकान हो गई है जिंदगी की
गढ्ढेदार सड़क पर सफ़र करते करते.
कहते है सुस्त से पड़े रस्ते टूटे
फूटे, पथरीले है तो क्या मंजिल
तक तो वो भी ले जाते है पक्की
सड़क की तरह.
जिंदगी का नाम चला लेना है
शिकायत करना नहीं.
शिल्पा रोंघे
Sunday, December 16, 2018
हाल ऐ दिल
जब सामने से वो गुजरते है वो, तो लफ़्ज बर्फ़ से जम जाते है.
ये बात अलग है तन्हाई के अलाव के आगे
शब्द पिघले पानी की तरह गुनगुनाते है.
शिल्पा रोंघे
मन की गहराई
वो जो लोग आंखें और चेहरा पढ़ते है,
सतही ही सच मायने रखता है उनके लिए.
हर किसी के बस की बात नहीं
मन की गहराईयों को मापना.
शिल्पा रोंघे
Saturday, December 15, 2018
गुलाब की फ़ितरत
कली की महक.
खिले तो भी सुंगध.
मसली हुई पखुंडियों
से बनता इत्र तो कभी
गुलकंद.
कांटों के साथ रहता गुलाब
कहां फ़ितरत बदलता है ?
चाहे जुड़ा हो शाख से या हो
टूटा हुआ, हर हाल में है खुशबू
देता.
शिल्पा रोंघे
ओस की बूंद
ओस की बूंद के स्पर्श से सूखा पत्ता
भी प्रफुल्लित होने लगा, पीला था
पड़ चुका, मगर मन से लग रहा था
हरा भरा.
शिल्पा रोंघे
तुझसे गिला नहीं
तेरी फिक्र है मुझे, तुझसे कोई काम नहीं.
दोस्ती एक भोला भाला सा अहसास है,
उसे अहसान का नाम ना दे, दुश्मनी तो
मुमकिन नहीं, अब अजनबी बनकर
मुझे तुझे भूल जाने की इजाज़त भर
दे दे.
शिल्पा रोंघे
Friday, December 14, 2018
उनसे वफ़ा की बात ना कर
कविता- उनसे वफ़ा की बात ना कर
जिस तरह पीने का पानी सुराही
में हर रोज बदलते है.
कुछ लोग रिश्तें उसी अंदाज़ में निभाते
है.
शिल्पा रोंघे
Thursday, December 13, 2018
Wednesday, December 12, 2018
अमर प्रेम
मिलन ही प्रेम की पूर्णता नहीं.
विरह भी प्रेम का रूप है.
राधा का ना हुआ मोहन कभी
फिर भी राधा कृष्ण का
लोग साथ जपते नाम है.
शिल्पा रोंघे
मतलब की सीढ़ी
हर फ़रियाद को लगाव ना समझना.
कभी कभी रिश्तों को कामयाबी की सीढ़ी समझ लेते है लोग.
मकसद पूरा होते ही मतलब की
दीवार से उस सीढ़ी को हटा लेते है
कुछ लोग.
शिल्पा रोंघे
Tuesday, December 11, 2018
घुंघट के परे सपना
मेंहदी की रंगत
और हल्दी से
हाथ हुए उसके
पीले कच्ची
उम्र में ही.
कभी पीहर की सुनी तो
कभी ससुराल की.
जो साजन की
दुनिया में ही रम गई
घर संसार में सिमटकर
रह गई.
काश मिलता उसे भी
एक मौका अपनी पहचान
बनाने का.
क्योंकि घुंघट से
झांकती आंखें
भी देखती है सपने,
जानती है दुनियादारी,
होती है दूरदर्शी.
शिल्पा रोंघे
Monday, December 10, 2018
आधुनिक रिश्ता
टैटू के ज़माने में वफ़ा की बात न कर
जहां बदन पर पक्के रंग चढ़ते है.
दिल पर लिखे ज़ज्बातों के रंग
हर रोज़ ही बदलते रहते है.
शिल्पा रोंघे
दिल की सीमा
खूबसूरत नीला पानी, लेकिन पीया
नहीं जा सकता.
समुंदर के ख़ारे पानी से होते है
कुछ शख़्स भी.
दुआ सलाम कर सकते है,
लेकिन दिल लगाया नहीं जा सकता.
शिल्पा रोंघे
रहो पंछी की तरह
सूरज की रोशनी,
पानी,
हवा,
धरती,
पर नाम किसी का लिखा
होता नहीं, अपने अपने हिस्से
की सब पाते हैं.
रहो पंछियों की तरह
जो डाल डाल पर
चहचहाते है, खुशी
के गीत गाते है
बिना किसी मशीन का
सहारा लिए.
शिल्पा रोंघे
Sunday, December 9, 2018
सचमुच का प्रेम
दो लोग सचमुच प्रेम में हो.
तो बंधन भी प्यारा लगता है.
नहीं हो तो स्वतंत्रता भी
बोझ लगती है.
प्रेम या तो "है" या "नहीं" है.
यहां बीच का कोई रास्ता
नहीं निकलता.
शिल्पा रोंघे
Saturday, December 8, 2018
जिंदगी
ए ज़िंदगी तुम भी याद
रखोगी मुझे हमेशा जिसने
हर सबक को स्कूल के
पाठ की तरह दिलचस्पी
से पढ़ा चाहे मुश्किल हो
या आसान.
वो भी नतीज़े की परवाह
किए बिना.
शिल्पा रोंघे
नारी की प्रीति
कोई ख़ास ज़िंदगी में आएगा.
कोई मुझे अपनाएगा.
कोई अपना नाम मुझे देगा.
तभी मैं प्रेम शब्द के मायने
समझूंगी ?
ऐसा नहीं है.
प्रेम की धारा
तो मुझमें बहती है.
वो मेरे अंदर है
अगर नहीं, तो बाहर
भी नहीं.
हां मुझे खुद
से प्यार है
हां उस पर ऐतबार
है.
कोई समझे ना समझे
ये मेरी कमी नहीं.
मैं प्रीति थी, हूं और रहूंगी.
शिल्पा रोंघे
Friday, December 7, 2018
उसकी यादें
उसके दिए फूलों को
उसने किताबों
में छुपा कर रख दिया था.
पूछते है लोग अब
तुम्हारी किताबों
पर इत्र फैल गया था
क्या ?
शिल्पा रोंघे
सच्चा प्यार हर बार नहीं मिलता
सच्चा प्यार हर बार नहीं मिलता.
बनावटी रिश्तों से दिल को सुकून कभी
नहीं मिलता.
लंबी होती है उम्र कागज़ के फूलों
की असली फूलों से, लेकिन नकली
फूलों से इत्र कभी नहीं बनता.
शिल्पा रोंघे
जब से देखा है तुम्हें
मुझे हिना का शौक नहीं था.
जब से तुम्हे देखा है हर मेंहदी
वाली से हथेली पर तुम्हारा
नाम लिखने को कहती हूं.
शिल्पा रोंघे
Thursday, December 6, 2018
दिल का तराजू
चलो नादान है हम समझदार हो तुम.
जिस तराजू पर दौलत और
शोहरत का बांट लिए फिरते
हो और रिश्ते तौलते हो, वो तराजू मेरे घर पर भी है.
बंद पड़ा है वो गोदाम में ना जाने
कितने सालों से.
शिल्पा रोंघे
पत्थर बनना आसान कहां
रेत के घर होते है बनाने में आसान मगर टिकते नहीं.
पत्थर तराशने में लगती है देर
मगर सदियों तक टिके रहते है वहीं.
चाहे धूप हो, छांव हो, या बारिश हो.
शिल्पा रोंघे
बिना झूठ इश्क ?
बिना झूठ के इश्क साबित करने में हयात गुज़ार दी.
सारी कोशिशें मुट्ठी में पानी कैद करने
जैसी रही.
शिल्पा रोंघे
किस युग में जीते हो तुम
बहुत सुनाते हो तुम
लेकिन सुनते कम हो.
प्रश्न पूछते बहुत हो.
उत्तर भी अपने हिसाब
से चाहते हो.
तो मैं इसे प्रश्न समझूं
या निर्देश.
अपनी शर्तें रख देते
हो मेरे सामने अनगिनत
मेरी एक बात सुनकर
अपना रस्ता बदल लेते हो.
हे पुरूष किस आदिम युग
से ताल्लुक रखते हो तुम
जहां बिना गलती के अहिल्या
पत्थर बन गई राम के चरण
छूते ही तर गई.
चलो मैं तुम्हारी खातिर
सीता बन जाती हूं, लेकिन
क्या वाकई तुम राम हो ?
शिल्पा रोंघे
Wednesday, December 5, 2018
ये प्यार व्यार
आसान नहीं है इश्क की राह
वफ़ा के पीछे बेवफाई साये
की तरह चलती है.
तन्हाई की शह पर ही
इश्क की राह खुलती
है, वरना किसे सुझती
है प्यार व्यार की बातें
जिंदगी की भागदौड़ में.
शिल्पा रोंघे
मिले ना मिले हम
सात जनम की बात छोड़ इस जनम
तो मिल जाना.
किसे पता शायद ये तेरा और
मेरा आखिर जनम ही हो.
शिल्पा रोंघे
कैसा ये भ्रम है
कभी नहीं मिलेंगे हमें वो ये तो तय है.
फिर भी इस नादन दिल को ना जाने
किस बात का भ्रम है.
शिल्पा रोंघे
Tuesday, December 4, 2018
प्रेम की सीमा नहीं
ब्रम्हांड के असंख्य तारों को
गिन पाना नामुमकिन है,
उसी तरह प्रेम के लिए कोई
निश्चित सीमा रेखा खींच
पाना भी कठिन है.
शिल्पा रोंघे
सफलता का मूलमंत्र
सांप सीढ़ी सिर्फ
खेल नहीं,
जीवन दर्शन भी है.
सफलता और विफलता
दुश्मन नहीं एक दूसरे की
साथी है.
हर रास्ते पर सांप
सा रोड़ा, कभी
मंजिल के बेहद
करीब आकर भी
लौटना पड़ता है.
कभी सिफ़र से शिखर
तो कभी शिखर से सिफ़र
का सफ़र तय करना
पड़ता है.
सफलता का कोई
आसान रास्ता नहीं
कभी गिरना कभी
उठना पड़ता है.
बार बार प्रयत्न
करना ही सफलता
का मूलमंत्र है.
शिल्पा रोंघे
इश्क का खेल
कौन होना चाहता है
मशहूर इश्क
में.
तमन्ना तो बस
एक शख़्स
के दिल में बसने की
होती है.
दगा इंसान देता है,
खामखां नाम इश्क का
बदनाम होता है.
शिल्पा रोंघे
कुछ ऐसी हो मोहब्बत
बेमिसाल, बेपनाह, बेशुमार हो ना हो ना
काश मेरे चाय से कड़वे मिज़ाज में तेरी
थोड़ी ही सही मोहब्बत चीनी सी मिठास
घोलने वाली हो.
शिल्पा रोंघे
Monday, December 3, 2018
मेरे शहर में ठंड
मेरे शहर में बर्फ
नहीं पड़ती
लेकिन
सर्द हवाएं
कुल्फी की तरह
जमा देती है मुझे.
हो जाते है हाथ यूं
लाल लाल कि कलम
भी ठीक से नहीं पकड़
पाती हूं मैं.
सुबह सुबह सूरज का इंतज़ार
रहता है मुझे, उसका डूबना
मायूस कर जाता है मुझे.
बस स्वेटर और स्कार्फ का
सहारा है मुझे.
ये चाय भी दिलाती
है बस पल दो पल के
लिए ठिठुरन से निजात.
कांपते कांपते में
हाल ए दिल लिख
रही हूं, सचमुच
अब मैं भी ठंड
से तालमेल
बैठाने की
बात सोच रही
हूं.
शिल्पा रोंघे
प्यार का रंग
कहते है लोग
गुलाबी,
लाल,
सतरंगी,
इश्क ना जाने
कितने रंगों
का होता है.
हो रंग चाहे जितने भी
इश्क विश्क के
तय है, इंसान
नहीं देख पाता
इन्हें जब वो प्यार
में अंधा होता है.
सचमुच प्रेम की
दुनिया रंगीन होकर
भी रंगीनहीन सी
होती है.
शिल्पा रोंघे
Sunday, December 2, 2018
रिश्तों के मायने
टूटा हो तो जोड़ भी लूं,
रूठा हो तो मना भी लूं,
लेकिन जो झूठा है
उसे अपना कैसे कहूं.
रिश्ता है कोई खेल
नहीं जो शतरंज
की तरह चालें चला
मैं करूं.
क्यों ऐसी बाज़ी का
मैं हिस्सा बनूं ?
लगता है अब तो
रिश्तों की ऐसी
जोड़ तोड़ से कोसों
दूर रहूं.
शिल्पा रोंघे
चाहे जो समझो तुम
माना कि उतने अच्छे नहीं हम
कि पाने खुशी हो तुमको.
लेकिन तय है ये, इतने भी बुरे
नहीं कि हमें खोने का गम ना हो
तुमको.
शिल्पा रोंघे
सच नहीं बदलता
लफ्ज़ों की हेरा फेरी से
सच नहीं बदलता.
चाहे छा जाए काले बादल,
या हो जाए बर्फबारी सूरज
निकलना नहीं छोड़ता.
झूठ के साथ खड़े हो दस गवाह
बदल सकते है, लेकिन देखता है
उपरवाला तो वो कभी अपना
हिसाब नहीं बदलता.
शिल्पा रोंघे
प्यार का कर्ज
प्यार भी उस कर्ज
की तरह होता है
जो लेने से भार बन जाता है और
देने से सूद समेत वापस
मिलता है.
शिल्पा रोंघे
Saturday, December 1, 2018
तुम कुछ यूं हो जाना
कभी चांद बन जाना
कभी सूरज बन जाना
तुम मेरे माथे पर सजने
वाली ऐसी बिंदी बन जाना.
शिल्पा रोंघे
मिलावट
धीमा जहर
फ़िजाओं में है कहां तक
बचोगे ज़नाब.
सड़कों पर दौड़ती
गाड़ियां, शहर में
बनीं फैक्ट्रियों
की चिमनियां
छोड़ती है पल पल
धुआं.
अब तो काली मैली
प्रदूषित सी हो रही
नदियां कब तक
पानी पीने से बचोगे
भला ?
अब सब्जियों में
नहीं लगते कीड़े
और इल्लियां
कीटनाशकों का छिड़काव
सेहत का भी नाश कर रहा.
सफेद दूध
पानी हो रहा.
मिलावट का यूं असर
हो रहा कि आम आदमी
कह रहा क्या खायें और
क्या नहीं कि सेहत को
ना लगे यूं चूना.
शिल्पा रोंघे
स्कूल का सबक
स्कूल में एक सा ड्रेस ये बताता है,
हर इंसान दुनिया से खाली
हाथ ही जाता है, बाकी सब
दिखावा है.
मासूम मन याद रखता है
जो जवानी की दहलीज
पर आकर भूल जाता है.
शिल्पा रोंघे
Friday, November 30, 2018
मोमबत्ती की कहानी
रंग बदलती दुनिया
को देखकर मोमबत्ती
ने किरदार उसी मुताबिक
कर लिया.
खुद पिघलकर रोशनी दे गई.
तो कभी सांचे के आकार में ढल
गई.
किसी के लिए
एक मोमबत्ती की लौ
ही काफी
है, वरना रोशन
महफ़िल में भी अंधेरे
की शिकायत सुनने
को मिलती है.
शिल्पा रोंघे
काश ऐसा हो
फिरदौस की चाह नहीं मुझे.
काश हो ऐसा भी जब तू मिले तो मन में मेरे बेमौसम गुल खिले.
शिल्पा रोंघे
दिल की बात
लिख लिए कुछ पत्र ईश्वर
के नाम पर.
पता मालूम नहीं था, तो बहा
दिया किसी नदिया में.
सुना और पढ़ा है कण -कण
में रहता है वो.
करके विश्वास लिख दी
हृदय की बात.
कोलाहल भी नहीं हुआ शब्दों का और मन भी हल्का हो गया.
शिल्पा रोंघे
Thursday, November 29, 2018
ज़िंदगी से कोई गिला नहीं
जो मिला है ज़िंदगी
से उससे कोई गिला
नहीं है.
हर पाठ मैंने बड़े
ध्यान से पढ़ा है.
कभी सबक मिला है
तो कभी अनसुलझे सवालों
का ज़वाब मिला है.
शिल्पा रोंघे
व्यंग्य - दुल्हे राजा
उम्र हमारी बढ़ रही तो क्या ?
समाज ने कायदा बनाकर
रखा है वधु की उम्र कितनी
भी कम चलती है तो सारी
उम्र ढूंढने में लगा देंगे.
हम कम सुंदर है तो क्या हुआ.
समाज ने कायदा बना के रखा
है.
लड़की तो सुंदर होनी चाहिए
चांद सी उजली, आंखें उसकी
हिरणी सी चंचल, होंठ गुलाब
से होने चाहिए.
कहती है दुनिया घर चलाना
पुरूषों का काम है, लेकिन
हम आधुनिक पुरूष ये
अन्याय नहीं सहेंगे
आधा खर्चा उसे
करने को कहेंगे.
एक दो डिग्रियों से
कहां काम चलता है
साहब हम अपनी
तरह उसे डिग्रियों
का ढ़ेर लगाने
को कहेंगे.
चाहे थक जाए
दिन भर वो घर
के काम में, हाथ
बंटाना समाज
के कायदों के
खिलाफ़ है.
अपनी मूंछों
पे ताव देकर
हम ये बात
कहेंगे क्योंकि
दुनिया के कायदे
हमें ध्यान में रखकर
लिखे गए है.
शिल्पा रोंघे
इश्क किया नहीं जाता
कहा उन्होंने इश्क के मामले
में नौसिखिया हो तुम.
ये दिलों का खेल नहीं समझ सकती तुम.
हमने कहा ये कोई तालिम
नहीं जो मैं करूं हासिल.
इश्क सीखा नहीं जाता
हो जाता है.
शिल्पा रोंघे
पानी की कहानी
किसी ने कहा सिर्फ चलते रहने
से क्या मिलता है.
मैंने कहा जो फर्क पानी
के ठहरे रहने और बहने से पड़ता
है.
शिल्पा रोंघे
Wednesday, November 28, 2018
दिल क्या करे
दिल ही तो टूटा है कोई
कांच नहीं दर्द होगा
बस हमें उन्हें नहीं.
आईना देखकर मुस्कुराएंगे
वो हमेशा की तरह ही.
दिल के टुकड़ो की चुभन
अब सिर्फ सताएगी
हमें ही.
शिल्पा रोंघे
मोहब्बत का खेल
खेल बन चुकी है अब तो
मोहब्बत.
उसकी खुशी के लिए मैंने
हारना ही मुनासिब समझा.
नहीं जरूरत उसे मेरी
तो दूर जाना ही ठीक
समझा.
क्या करूं में ऐसी जीत
का, जहां मेरा होना या ना
होना ही मायने नहीं रखता.
समझा था जिस इश्क को
कोई मंदिर वो
असल में दिल का बाज़ार
निकला.
शिल्पा रोंघे
दर्द का मकसद
दर्द का मकसद बस बताना यही
कि आप अभी जिंदा है.
वरना जिंदगी से जुदा होकर
कौन इसकी शिकायत करता
है.
शिल्पा रोंघे
Tuesday, November 27, 2018
तेरा मेरा मिलना
तेरा मेरा मिलना
एक यादगार पल
होगा.
ना इतिहास दोहराया
जाएगा.
ना भूगोल बाधा बन
पाएगा.
ना कोई विज्ञान
ये पहेली सुलझा
पाएगा.
ना गणित
का कोई समीकरण
इसे बदल पाएगा.
एक ऐसी भाषा
बन जाएगा जिसे
पढ़ पाएंगे
बस हम तुम.
शिल्पा रोंघे
बचपन की यादें
आसमान के तारें
गिनना नामुमकिन
था, ऐसे में नींद का
आना तय था, मासूम
मन का असंख्य तारों को
गिनने का शौक भी
निराला था.
शिल्पा रोंघे
क्या ये प्यार है
सारे विकल्पों
को छोड़ के गर
सिर्फ कोई तुम्हें
चुने तो मजबूरी
नहीं प्रेम है ये.
अपनी फिक्र छोड़कर
कोई तुम्हे चुने तो बेवकूफ़ी
नहीं प्रेम है ये.
चाहने वाले बहुत
मिलेंगे मतलब के लिए.
बिना मतलब के चाहने
वाला कोई मिले.
तभी उसे प्रेम का नाम दे.
वरना महज एक विकल्प
भर कहे.
शिल्पा रोंघे
कविता
किसी ने पूछा कविता क्या होती है ?
मैंने कहा जो दिल से निकलती
है और दिल को छूती हो.
जैसे नदी की लहर समुंदर
में जा मिलती है.
शिल्पा रोंघे
तेरी मोहब्बत में
तेरी मोहब्बत में हम इबादत करना
भूल गए.
तुझे जिंदगी बनाकर, जिंदगी
देने वाले को भूल गए.
अब काफ़िर होने का इल्ज़ाम
वो लोग भी लगाने लगे
जो बड़े अदब से बात किया
करते थे.
शिल्पा रोंघे
Monday, November 26, 2018
तेरे चेहरे से
तेरे चेहरे से बरसता था जो नूर
उसे हमने आंखो में लिया था बसा.
इससे बड़ा सबूत और क्या दे भला ?
लोगों से ही पूछ लो
जिन्होने चेहरे पर सजी चमक को महसूस है किया.
शिल्पा रोंघे.
कोरा कागज
जिस कोरे कागज
पर लिखते है लोग
हाल ए दिल.
कहता है वो
कभी मेरी कहानी
भी लिखो ना.
मैं भी कभी जिंदा
था, आज हूं
खाली, पेड़
में भी कभी हरा
भरा था, जिसकी
छाया तले बैठकर
तुमने भी कोई गीत
गुनगुनाया था.
शिल्पा रोंघे
नारी
पुरुष अहं पर गलती से
चोट मत कर देना नारी,
सही और गलत
का निर्णय करना
सिर्फ पुरूषों
का अधिकार है,
मानते है तो मानने देना.
कहते है गलत तुम्हें
तो कहने देना
क्यों एक बेचारी
बन कर रहना.
क्यों घुट घुट
के जीना.
क्या सिर्फ आदर्श
नारी की छवि को ढोने
के लिए, आखिर किस लिए ?
शिल्पा रोंघे
मेघा
देख रहे हैं राह, बचे-खुचे कुछ जंगल। अब तो निमंत्रण स्वीकार कर। सूख रही हैं नदियाँ और ताल, फिर से बह कर कहीं दूर निकल चल। मेघा, बरस फिर से, ...
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मत करना कभी किसी गैर पर भरोसा आंखे बंद करके नुरानी चेहरा भी मुरझा, जाएगा. कभी खुद पर जी खोलकर करके तो देख भरोसा मुरझाया हुआ चेहरा भी...
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दुख या संघर्ष किसी इंसान को दो तरह के इंसान में बदल देता है. एक पत्थर दिल इंसान में जो किसी के दर्द को समझ नहीं पाता या दूसरा व्यक्ति जो हम...
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करते है याद जब बचपन के वो दिन तो सोचते है जाने कैसे दिखते होंगे तुम ....... रोज स्कूल से आते वक्त मेरे घर के सामने से गुजरते थे तु...